REWA. नगर पालिक निगम रीवा में मेयर और पार्षद पद के लिए कल बुधवार 13 जुलाई को वोट डाले जाएंगे। 7 साल बाद हो रहे निगम चुनाव में इस बार शहर के सर्वांगीण विकास और मूलभूत सुविधाओं को लेकर सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के बीच मजेदार रस्साकशी रही। इस पूरे चुनाव अभियान में जहां भारतीय जनता पार्टी विकास कार्यों को लेकर जनता के बीच आगे बढ़ने का माद्दा लेकर चल रही थी वही कांग्रेस लगातार हमलावर रही। कांग्रेस द्वारा उठाए गए मुद्दे पर भाजपा डिफेंस करती है। इस दौरान आम आदमी पार्टी ने भी मेयर पद पर एक युवा चेहरे को उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया। मतदान पूर्व रुझान देखें तो आप का उम्मीदवार भाजपा और कांग्रेस में से किसी एक का गणित बिगड़ते नजर आ रहा है। आम आदमी पार्टी का यह खेल किस दल पर भारी पड़ेगा यह देखने वाली बात होगी।
नगर पालिक निगम रीवा में मतदान के अब कुछ घंटे शेष रह गए हैं। चुनाव प्रचार अभियान के आखिरी क्षणों में मुख्य दलों के अलावा निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी मतदाताओं को रिझाने की कोशिश में कोई कसर नहीं छोड़ी है। बहरहाल असल लड़ाई भारतीय जनता पार्टी जिसने ढाई दशक से ऊपर नगर निगम पर कब्जा जमा रखा है, और कांग्रेस के बीच तय माना जा रहा है। इस मुकाबले को घमासान में बदलने का काम आम आदमी पार्टी ने कर दिया है । आम आदमी पार्टी पहली बार रीवा नगर निगम के चुनाव में शिरकत कर रही है लेकिन उसके लड़ने का तरीका बसपा और सपा से अलग है। आप के प्रचार अभियान से कतई नहीं लगा कि वह पहली दफा रीवा में चुनाव लड़ने जा रही है। आप के उम्मीदवार इंजीनियर दीपक सिंह पटेल ने शहर के मतदाताओं का ध्यान खींचने में कुछ हद तक सफल रहे, विशेषकर सजातीय मतों को वे अपने पाले में ले जाने में कामयाब नजर आ रहे हैं।
सियासी शह मात शुरू
सोमवार शाम 5:00 बजे चुनावी शोर थमने के साथ ही सियासी दलों का गुरिल्ला युद्ध शुरू हो गया है। भारतीय जनता पार्टी के प्रचार अभियान के प्रमुख पूर्व मंत्री एवं विधायक राजेंद्र शुक्ल जहां अपने राजनीतिक अनुभव और कौशल का इस्तेमाल पार्टी के कार्यकर्ताओं की छोटी-छोटी टुकड़ियों के साथ कर रहे हैं , वहीं कांग्रेस पार्टी के नेता और पदाधिकारी कांग्रेस के संभागीय संगठन प्रभारी प्रताप भानु शर्मा और प्रदेश प्रवक्ता इंजीनियर राजेंद्र शर्मा और कांग्रेस के नेता कार्यकर्ता डोर टू डोर संपर्क साधने में लगे हैं। सियासत में शह मात का खेल खेलने का यही मौका है जिसे आम बोलचाल की भाषा में कत्ल की रात कहा जाता है। मतदान के पूर्व की राहत जीत और हार को बदलने का सबसे कारगर समय राजनीतिक दलों के लिए रहा है। कुछ घंटों की इस अवधि में पार्टी के आका मतदाताओं को खींचने के लिए साम,दाम, दंड, भेद को हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि कि राजनीतिक दलों के इस खेल को रोकने के लिए चुनाव आयोग द्वारा बनाए गए सभी हथकंडे नाकाम रहे हैं।
आप बढ़ी तो किसका नफा नुकसान?
सियासी गलियारों में निकाय चुनाव का रीवा से आगाज करने वाली आम आदमी पार्टी को राजनीतिक समीकरण को प्रभावित करने वाली पार्टी के रूप में देखा जा रहा है। आप ने आखिरी क्षणों में इंजीनियर दीपक सिंह पटेल को मेयर पद का प्रत्याशी बनाकर मतदाताओं और सियासी दलों को चौंकादिया था। हालांकि चुनाव प्रचार के शुरुआती दिनों में आप का यह कदम महज खानापूर्ति माना जा रहा था लेकिन आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल के सिंगरौली में मेयर पद की उम्मीदवार रानी अग्रवाल के पक्ष में चुनावी सभा और रोड शो के बाद विंध्य की राजनीतिक फिजा आप के उम्मीदवार दीपक सिंह और कार्यकर्ताओं में जोश भर गया। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि आप की वोट शेयरिंग बड़ी है। यह शेयरिंग किसको झटका देगी और किस पार्टी के उम्मीदवार की फतेह का मार्ग प्रशस्त करेगी? इस पर गौर करना होगा। माना जा रहा है कि दीपक सिंह जिस ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं उसके अधिकांश वोट भाजपा की झोली में जाते रहे लेकिन दावा बहुत मजबूत नहीं लग रहा है। फिलहाल आप रीवा नगर निगम में दो धारी तलवार बनती दिख रही है, भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों को सतर्क रहने की जरूरत है। आम आदमी पार्टी की नजर पटेल सजातीय मतों के साथ साथ मुस्लिम समुदाय और रेहड़ी कारोबार करने वाले फुटकर मतदाताओं पर भी है।